चिड़िया और दाना
माँ बचपन में यह किस्सा सुना सुना कर मुझे सुलाती थी , आज वही किस्सा आप लोगों को
सुना सुना कर जगा रहा हूँ। किस्सा कोताह यूँ कि----]
---इन्द्रप्रस्थ प्रदेश में एक चिड़िया रहती थी । उसे कहीं से चने का एक दाना मिला। उस दाने से वह चने का दाल बनाना
चाहती थी। उससे उसे चक्की [ चाकी ] में डाल कर पीसा मगर न चना ही बाहर आया न दाल ही बाहर आई ।
उसे लगा कि वह दाना चक्की के ’खूटें" में फँस गया है। अत: उसे निकलवाने के लिए बढ़ई के पास गई ।
उसने बढ़ई से कहा-
" बढ़ई ! बढ़ई ! तू खूँटा चीरा. खूँटवे में दाल बा
का खाइब ? का पीयब? का ले परदेश जाइब ?
[ अर्थात हे बढ़ई ! तू चल कर मेरा खूँटा चीर दे। उस खूंटे में मेरी दाल फँसी है --नहीं तो में क्या "खाऊँगी" क्या "पीउँगी"
और क्या ले कर परदेश जाउँगी ?
बढ़ई ने टका सा जवाब दिया--तू अभी जा। मैं अभी 2024 के एजेन्डे में बिजी हूँ--वह मेरा एजेन्डा नहीं है -- तेरा एजेन्डा है
चिड़िया दुखी मन से बाहर आ गई. और उस बढ़ई की शिकायत करने राजा के पास पहुँच गई।
उसने राजा से कहा-
राजा राजा तू बढ़ई डाँटा ,
बढ़ई नू खूँटा चीरे. खूँटवे में दाल बा
का खाइब ? का पीयब? का ले परदेश जाइब ?
[अर्थात------]
राजा ने कहा-- तू अभी जा। हम अभी किसी और एजेन्डे में बिजी हैं। वह मेरा एजेन्डा नहीं-- तेरा एजेन्डा है। जब तेरा एजेन्डा
’राज दरबार ’ ’राजसभा’ में आएगा तब देखेंगे----
चिड़िया दुखी मन से सड़क पर आ गई और चिल्लाने लगी--
" सब मिले हुए हैं जी , सब मिले हुए है । अन्दर से सब मिले हुए हैं ।सब मेरी दाल चुराना चाहते है-- मेरी दाल निकलेगी नहीं तो बनेगी कैसे? दाल गलेगी कैसे?
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किस्सा खतम -पैसा हजम।
सन्दर्भ ? जो समझ लें
-आनन्द.पाठक-
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