शुक्रवार, 15 जनवरी 2021

एक व्यंग्य 78 : गुड मार्निंग

 

एक लघु व्यथा :गुड मार्निंग

 

’मम्मी ! मम्मी ! अब वो ’अंकल’ ह्वाटस-अप ’ पर नहीं आते ?-छोटी बेटी ने एक मासूम-सा सवाल किया

"कौन बिट्टो ?"

"वही अंकल,जो हर रोज़ सुबह सुबह ’गुड मार्निंग’ करते थे। फ़ूल भेजते थे ।गुड नाइट करते थे ।शे’रो,शायरी भेजते थे ,ह्वाटस पर।"

 नहीं बिट्टो ! अब वह कभी नहीं आयेंगे। मैने मार दिया उन्हें । आइ हैव किल्ड हिम ।

 बिट्टो आश्चर्य से मम्मी का मुँह देखने लगी। फिर वही मासूम-सा  सवाल -कैसे मम्मी ?

 "अगर किसी अपने सच्चे चाहने वाले को ”ब्लाक’ कर दो तो कुछ दिन बात वह तड़प तड़प कर मर जाता है"

कह कर मम्मी नम आँखों से किचेन में चली गईं ।

 बिट्टो को यह बात समझ में नहीं आई । अभी वह इतनी बड़ी नहीं हुई थी ।

-आनन्द.पाठक--

 

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